अप्रतिम कविताएँ
गांव
एक अंधेरा, एक ख़ामोशी, और तनहाई,
रात के तीन पांव होते हैं।
ज़िन्दगी की सुबह के चेहरे पर,
रास्ते धूप छाँव होते हैं।

ज़िन्दगी के घने बियाबाँ में,
प्यार के कुछ पड़ाव होते हैं।
अजनबी शहरों में, अजनबी लोगों के बीच,
दोस्तों के भी गांव होते हैं।
- मधुप मोहता
Madhup Mohta
Email : [email protected]
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विषय:
जीवन (37)

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 गांव
 रोशनी
इस महीने :
'युद्ध की विभीषिका'
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युद्ध अगर अनिवार्य है सोचो समरांगण का क्या होगा?
ऐसे ही चलता रहा समर तो नई फसल का क्या होगा?

हर ओर धुएँ के बादल हैं, हर ओर आग ये फैली है।
बचपन की आँखें भयाक्रान्त, खण्डहर घर, धरती मैली है।
छाया नभ में काला पतझड़, खो गया कहाँ नीला मंजर?
झरनों का गाना था कल तक, पर आज मौत की रैली है।

किलकारी भरते ..

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ना अब तलवारें, ना ढाल की बात है,
युद्ध स्मार्ट है, तकनीक की सौगात है।
ड्रोन गगन में, सिग्नल ज़मीन पर,
साइबर कमांड है अब सबसे ऊपर।

सुनो जवानों! ये डिजिटल रण है,
मस्तिष्क और मशीन का यह संगम है।
कोड हथियार है और डेटा ... ..

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भीगा बारिश में दरवाजा चौखट से कुछ झूल गया है।
कभी पेड़ था, ये दरवाजा सत्य ये शायद भूल गया है।

नये-नये पद चिन्ह नापता खड़ा हुआ है सहमा-सहमा।
कभी बना था पेड़ सुहाना धूप-छाँव पा लमहा-लमहा।
चौखट में अब जड़ा हुआ है एक जगह पर खड़ा हुआ है,
कभी ठिकाना था विहगों का आज ...

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