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चाय 7
सुनो,
कप हमेशा दोनों रखना
चाहे रह जाओ अकेले ही
होती रहेगी हर सुबह हर शाम
कुछ बात
कभी मन से
कभी बेमन भी,
आदतें छूटती नहीं !
-
नूपुर अशोक
विषय:
बीता समय (17)
रिश्ते (17)
काव्यालय को प्राप्त: 5 Aug 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 10 Aug 2023
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चेतन कश्यप
पेड़ों के झुरमुट से
झाँकता
चाँद पूनम का
बिल्डिंगों की ओट में
चलता है साथ-साथ
भर रास्ते
पहुँचा के घर
..
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'सबसे ताक़तवर'
आशीष क़ुरैशी ‘माहिद’
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दरिया का तिनका
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..
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गीता दूबे
रौशनी से नहाए इस शहर में
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चीर कर गमों के अँधेरे को
जिंदगी आज फिर से मुस्कराती है।
धमाका फिर गूंजता है
पर बमों और बंदूकों का नहीं
पटाखों के साथ-साथ
गूंजती है किलकारियाँ भी।
सहमे से मुरझाए होठों पर
..
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